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कृष्ण वन्दना पूर्णता:

                  कृष्ण वन्दना पूर्णता:
कृष्ण एक तुम ही थे, 
जिसने राधा के दर्द को समझा।
राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए 
पर सीता की पीर को ना समझ पाए।
मीरा की पीर भी किसी न जानी,
वह भी तो थी कृष्ण की दीवानी। 
लक्ष्मण को भाया भाई का साथ, 
उर्वशी की तङप उन्होने कहां जानी।
यदा -  यदा ही धर्मस्य का जब आह्वान हुआ।
द्रौपदी के लिए कृष्ण दौरे आए,
युधिष्ठिर ये बात कहां समझ पाए।
युगों - युगों में नारी अबला ही कहलाई।
कोई नही मिला कृष्ण सा मीत कृष्ण सा भाई,
नारी की भावना जिसने क्षितिज से जानी।
युगों - युगों तक याद रहेगी श्री कृष्ण की वाणी,
नारी सम्मान में उनकी गाथा जो हम सब ने जानी।
 
                                   सलोनी कुमावत 
                                      कक्षा  - 6

"लाडो"

                               "लाडो"
    
         तुम हो सदा प्यारी - प्यारी,
         मेरी नन्ही फुलवारी।
         तुझे देखकर मैं हंसती,
         खिलती कली ह्रदय में खिलती।
         सदा तू खुश रहे, दिल से दुआ निकलती,
         घर मेरा तेरी किलकारी से गूंजे।
         तूं ना चहके तो उदास मन मेरा,
         चले आंगन में जब पग तेरा।
         घर महके सुबह- शाम मेरा,
         बाहर जब तू चली जाये।
         चारों और सन्नाटा छा जाए,
         घर के भीतर जब तू आये।
         सब और उजियारा छा जाए,
         सबको करे तू दुलार, रखे सबका ख्याल।
        अपना रखे नही तू ध्यान,
         करे सबको खुशहाल।
         बाप को कहे राजा, 
         भैया को शहजादा।
         पुकारे अम्मा को रानी, 
         छोटी बहन को राजरानी ।
         अपने को भूला दे, 
         अपने भी भूलाए ।
         कैसी ये भूल - भूलैया,
         फिर भी ये दुनिया।
         बेटी को माने अभागन।
         दुआ मेरी तुझको, 
         महके सदा तेरा घर- आंगन। 

                                                  सुनीला देवी
                                          स्टाफ - हिन्दी शिक्षिका

बोल अनमोल

                       बोल अनमोल 
                               हिन्दी 

       एकता की जान है,
       हिन्दी देश की शान है,

                              हिन्दी से हिन्दुस्तान है, 
                              तभी तो यह देश महान है,
                              निज भाषा की उन्नति के लिए, 
                              अपना सबकुछ कुर्बान है,

      करें हिन्दी का मान, 
      तभी बढ़ेगी देश की शान 

                                              विद्यार्थी 
                                         सुनील प्रजापत 
                                            कक्षा :- 8

बेटी बचाओ बेटी पढाओ

                    

                बेटी बचाओ बेटी पढाओ 


  
     मैं लेती हूँ श्वास, 
     पत्थर नही इंसान हूँ,
                               कोमल मन है मेरा, 
                               वहीं भोला सा चेहरा,
     जज्बातों में जीती हूँ,
     बेटा नही पर बेटी हूँ,
                               कैसे दामन छुङा लिया, 
                               जीवन के पहले ही मिटा दिया,
     तुझ से ही बनी हूँ,
     बस प्यार की भूखी हूँ, 
                               जीवन पार लगा दूंगी,
                                अपना लो मैं बेटा भी बन जाऊँगी, 
     दिया नही कोई मौका,
     बस पराया बनाकर सोचा, 
                                एक बार गले से लगा लो,
                                फिर चाहे हर कदम पर आजमालो, 
     हर लङाई जीत कर दिखाऊँगी, 
     मैं अग्नि में पलकर भी जी जाऊँगी, 
                                चंद लोगों की सुन ली तुमने,
                                मेरी पुकार ना सुनी,
     मैं बोझ नही भविष्य हूँ,
     बेटा नही पर बेटी हूँ।

                                             निशा प्रजापत 
                                               कक्षा :- 6

अद्भुत तथ्य, टाइटैनिक के बारे में

                    

                           अद्भुत तथ्य 
                     टाइटैनिक के बारे में 

- टाइटैनिक जब बना था तब उसे कभी न डूबने वाला जहाज बताया गया था। लेकिन पहले सफर में चौथे दिन ही वह डूब गया।

- टाइटैनिक जहाज का पूरा नाम था - RMS (Royal Mail Ship) इसे बनाने वाली कम्पनी का नाम Whits Star Line थी।

- एक अनुमान के अनुसार जहाज पर 2222 लोग सवार थे। जिनमें से 1314 यात्री और 908 क्रू मेंबर थे। इनमें से 1500 से ज्यादा आदमी डूब गये और 706 बच गया। इनमें से 337 लोगों की लाशें मिल पायी।

- जहाज के यात्रियों के पास कैश, ज्वेलरी समेत 60 लाख डाॅलर का सामान धा।

- 1 सितंबर 1985 को डूबने के 73 साल बाद जहाज का मलबा ढूंढ ही लिया गया। यह समुद्र में 12,600 फीट की गहराई पर मिला , जहाँ जहाज डूबा , वहाँ पानी का तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेड था। जिसमें कोई भी व्यक्ति 15 मिनट से ज्यादा जिंदा नही रह पाया। अपने आखिरी समय में टाइटैनिक के दो टुकडे हो गए थे। वे आज भी समुद्र में पङे है। वैज्ञानिक आज भी नही बता पाए की टाइटैनिक क्यों डूबा व उसके दो टुकडे क्यों हुए। 

- वर्ष 1997 में इसी दुर्घटना पर जो फिल्म बनी थी टाइटैनिक, उसका बजट मूल जहाज की लागत से भी अधिक था। जहाज को बनाने में 75 लाख डाॅलर लगे, जबकि मूवी बनाने में 20 करोङ डाॅलर, इस फिल्म ने 2 अरब डाॅलर की कमाई की । इतने पैसों से आज 5 टाइटैनिक जहाज बन सकते हैं।

                                    पार्थ राज कटारिया 
                                            कक्षा - 8 
                                   सत्र - 2019 - 2020

MAGAZINE 2019 -20








                           महावीर सिंह 
                                प्राचार्य 
                  विद्याकुंज माध्यमिक विद्यालय 

                 प्रधानाचार्य की कलम से 
         पाठकों यह अंक मूल्य शिक्षा को समर्पित है। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के दैनिक जीवन मैं सादगी के भाव के साथ आदर्श का पालन करना है। जिससे वे सदाचारी एवं बलवान बनें और अपनी शिक्षा का उपयोग सामाजिक विकास तथा राष्ट्र निर्माण में करें। आज छात्र जीवन का वास्तविक मूल्यांकन न कर , पदवी एवं संपति पर अधिक ध्यान दिया जाता है। मनुष्य को निर्भय, अंहकार रहित, निःस्वार्थ बनाना ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए। वर्तमान में छात्रों की शिक्षा कुछ अधिक पुस्तकीय हो गई है। वे व्यवहारिक उपयोगी ज्ञान की अपेक्षा डिग्री एव॔ ग्रेड्स प्राप्ति के पीछे ही परेशान रहते है। छात्र अपने कालेज जीवन में भी लक्ष्यरहित है। उनका कोई निश्चित लक्ष्य नही रहता । आत्म विकास तथा निज देश जाति को वैभवशाली बनाने में हाथ बंटाना ही उसका उद्देश्य होना चाहिए।

       ये ही आदर्श है जिनको अधिक उत्साह के साथ व्यवहारिक रूप में छात्र-छात्राओ के सम्मुख रखने की आवश्यकता है। मेरे विचार में यही शिक्षा मूल्य रखकर देश में परिवर्तन लाया जा सकता है एवं एक नये समाज नये भारत की परिकल्पना की जा सकती है।
        पाठकों उपरोक्त सभी मूल्यों को छात्र-छात्राएं सरलता से सीख सकें व जीवन आचरण में अपना सकें इसके लिए हमारी शाला सदा प्रयत्नशील रही है व रहेगी। इस हेतु हमने शाला के सभी छात्र-छात्राओ कों चार सदनों में बांटा हुआ है, जिन्हें समय - समय पर अनेक गतिविधियां करने को दि जाती है जिससे छात्रों में कार्य को स्वयं करने व अन्य से बेहतर करने की भावना जाग्रत होती है। शाला में एक मंत्री परिषद भी बनायी गयी है। जिसमें कक्षा 5 से 9 तक के छात्र-छात्राओ कों शामिल किया जाता है वे छात्र प्रातः प्रारंभ होने से लेकर छुट्टी होने तक एक - एक बच्चा घर चला जाए तब तक सभी गतिविधियां स्वयं संभालते हैं जिससे बच्चों में अनुशासन व नेतृत्व की भावना का विकास होता है। 
         हर साल शाला में हिन्दी व अंग्रेजी की वाद-विवाद प्रतियोगिताओ का इंटर स्कूल व इंटर कॉलेज स्तर पर आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चे दूसरे स्कूल व काॅलेज के साथ भाग लेते है जिससे उनमें आत्मविश्वास का विकास होता है। इन सब के अलावा अन्य गतिविधियां भी संचालित रहती है जिससे प्रत्येक छात्र को अपने आपको परखने का व आगे बढ़ने का मौका मिलता है। शिक्षण, प्रशिक्षण में किसी प्रकार की कमी ना रहे इस हेतु स्कूल समय 
के अलावा अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर भी प्रत्येक बच्चे पर अच्छे से ध्यान देकर कार्य किया जाता है।
        ये सभी गतिविधियां मूल्य शिक्षा को समर्पित है। आशा करता हूँ कि इनसे सभी उद्देश्य पूरे हो सकेंगे।
              धन्यवाद 
                                               महावीर सिंह 
                                              प्राचार्य, विद्याकुंज

MAGAZINE 2019 -20

          विद्याकुंज शाला परिवार ने सत्र :- 2019 - 20 में एक पत्रिका "सृजन" का विमोचन किया था इस कि विशेषता यह है कि इस में छपी रचनाएं शाला के छात्र-छात्राओ और अध्यापकों द्वारा रचित है। यह हमारा प्रथम अंक है। इस के माध्यम से हम छात्र-छात्राओ के लेखन कला को निखारने का प्रयास कर रहे । हम चाहते हैं की बच्चे पढ़ाई लिखाई, हस्तशिल्प, खेलकूद, के साथ - साथ अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाने। इस अंक में छात्र-छात्राओ द्वारा रचित कविताएं , कहानियाँ, पहेलियाँ , लेख , अद्भुत तथ्य, अनमोल वचन, टंग - ट्विस्टर ये (हिन्दी, और अंग्रेजी) में लिखे गए है । ये सब शाला के छात्र-छात्राओ द्वारा लिखे गए है और संपादन का कार्य संपादकीय टीम जिसमे कक्षा 6 से 10 तक के छात्र-छात्राएं व अध्यापक सामिल थे के द्वारा किया गया । 
संपादकीय टीम:- 
 हिम्मत प्रजापत कक्षा-10
 निशा कुमावत कक्षा - 9
 पार्थराज कटारिया - 8
 वर्षा कंवर - 7
 सलोनी कुमावत कक्षा - 6
अनुसुईया भाटी अध्यापिका 
सुनिला देवी अध्यापिका 

इस अंक में छपी रचनाओं को आप के लिए प्रस्तुत कर रहे है आप इसका आन्नद ले।