कृष्ण एक तुम ही थे,
जिसने राधा के दर्द को समझा।
राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए
पर सीता की पीर को ना समझ पाए।
मीरा की पीर भी किसी न जानी,
वह भी तो थी कृष्ण की दीवानी।
लक्ष्मण को भाया भाई का साथ,
उर्वशी की तङप उन्होने कहां जानी।
यदा - यदा ही धर्मस्य का जब आह्वान हुआ।
द्रौपदी के लिए कृष्ण दौरे आए,
युधिष्ठिर ये बात कहां समझ पाए।
युगों - युगों में नारी अबला ही कहलाई।
कोई नही मिला कृष्ण सा मीत कृष्ण सा भाई,
नारी की भावना जिसने क्षितिज से जानी।
युगों - युगों तक याद रहेगी श्री कृष्ण की वाणी,
नारी सम्मान में उनकी गाथा जो हम सब ने जानी।
सलोनी कुमावत
कक्षा - 6