सांचू बोर्डर चैक पोस्ट, शैक्षणिक भ्रमण , सीमा दर्शन

                   
                   सांचू बोर्डर चैक पोस्ट 
                       शैक्षणिक भ्रमण 
                        सीमा दर्शन 
         आज हमारे विद्यालय विद्याकुंज माध्यमिक विद्यालय से शैक्षणिक भ्रमण हेतू सांचू बोर्डर चैक पोस्ट पर ले जाया गया व॔हा आने जाने की पूरी व्यवस्था बी.एस.एफ द्वारा की गई । बी.एस.एफ. की बस से शाला के छात्र-छात्राओ ने प्रातः 6:20 पर यात्रा प्रारंभ की हमारे साथ 2 सेना के जवान थे उन्होने हमे बहुत अच्छे से गाइड किया हमने भारत माला रोङ देखी वहा हमे बताया गया कि इस रोङ पर फाइटर जैट भी उतारे जा सकते हैं इमरजेंसी के समय इसके बाद हम रणजीत पूरा से आगे मारूति पोस्ट पहूँच जहा से आगे पाकिस्तान बोर्डर की शुरूआत होती है वहा हमने देखा की भारत की सीमा मे तारबन्दी की हुई है बोर्डर पर लाइटिंग की बहुत अच्छी व्यवस्था है 24 घन्टे लाइट रहती है। वहा बनी छोटी पोस्ट पर आर्मी के जवान पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी करते है दिन हो या रात हमे बताया गया की रात होने से पहले उन्टो के पिछे लकडी का फटा बांधकर तारबन्दी के पास की जमीन को समतल किया जाता है अगर रात मे कोई बोर्डर पार आ जाये तो उसको पैरो के निशान से पकडा जा सके ऐसा होना सम्भव तो नही है क्योंकि रात में जवान पट्रोलिग करते है जिस के कारण किसी का भी बोर्डर पार करके आना सम्भव नही है। जब सांचू बोर्डर चैक पोस्ट पर पहुंच तब हमे वहा की चोकी से बोर्डर पार पाकिस्तान कि चोकी दिखाई गई हमने देखा कि उस तरफ तारबन्दी भी नही थी उस तरफ बनी चोकी भी टूटी-फूटी थी हमे बताया गया कि वहा पीने का पानी की भी व्यवस्था अच्छे से नही है।
इसके बाद हम सब सांचू बोर्डर चैक पोस्ट हेड आफिस गये वो शानदार जगह थी वहा पर जवानो के लिए आराम करने खाना खाने और उन के लिए मेडिकल कि भी बहुत अच्छी व्यवस्था थी। वहा पर हमे उस चोकी के इतिहास को जानने का अवसर मिला कि किस तरह 1965 व 1971 के युद्ध मे पाकिस्तान ने इस पर कब्जा करने कि कौशिक कि और हमारे जवानो ने उस वापस खाली करवा लिया था वहा पर सांचू माता मन्दिर बना हुआ है जिसकी बहुत मान्यता है। उस जगह पर बनी दर्शक गैलरी भी देखी । उस गैलरी में सन्1965 व 1971 के युद्ध के दौरान जो दुष्मन सेना को हरा कर जो हथियार उन से लिए गए थे वो प्रदर्शित किये गये थे इसके साथ ही वो हथियार भी थे जो सेना के द्वारा पहले इस्तेमाल किये जाते थे ओर फोटो प्रदर्शनी भी थी जिसमे B.S.F द्वारा भारत के अलग- अलग सीमाओ किस प्रकार कार्य किया जाता है ये दिखाया गया था दुर्गम इलाको मे वो लोग किस प्रकार काम करते है ये सब हमने जाना । सांचू देश की एकमात्र ऐसी सीमा चोकी है जंहा पर्यटकों के लिए भारत-पाक युद्ध 1971 मे जीत के सिरमौर रहे दो T-55 टैंक तैनात किए गए है। ये टैक 1965 मे लाए गए थे 1971 की लडाई मे 74 आर्म्ड रेजिमेंट के साथ युद्ध मे पश्चिमी सरहद पर गोले बरसाय। 43 साल तक इनकी सेवाएं लेने के बाद वर्ष 2008 मे सेना से रिटायर कर दिया गया । इन टैंकों का वजन लगभग 39 टन था ये टैक 105 एम.एम मशीन गन तथा 12.7 एम.एम एंटी एयरक्राफ्ट गन से लैस थै। इन में चारों तरफ घुसकर गोला दागने की क्षमता थी। श्री पुष्पेन्द्र सिंह राठौड उप महानिरीक्षक, क्षेत्रीय कार्यालय सीमा सुरक्षा बल बीकानेर के निरंतर अथक प्रयासों से अप्रैल 2022 को इन टैंकों को "सेंट्रल आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल डिपो किरकी पुणे" से लाकर सीमा चोकी सांचू मे रखा गया। इन टैंकों का नाम सीमा सुरक्षा बल की सीमा चोकी 'साचू' और 'खरूला' के नाम पर रखा गया जंहा पर भारत- पाक युद्ध लङा गया था। 
इस शैक्षणिक भ्रमण के लिए हम:- 
डी.आई.जी पुष्पेंद्र सिंह जी राठौड़ सर का विद्याकुंज शाला परिवार की तरफ से विषेश धन्यवाद उन्होने हमारी शाला के छात्र-छात्राओ के लिए "सीमा दर्शन बी.ओ.पी.सांचू " मे सीमा दर्शन की व्यव्स्था की । 
                🇮🇳🇮🇳🙏🏻जय हिन्द 🙏🏻🇮🇳🇮🇳

                                                   अध्यापिका                                                             अनुसुईया भाटी