समझदार बेटी
उसकी माँ ने उस दश हजार रुपए दिए उस काम शुरू करने के लिए। कुछ दिनों तक तो रोहित पैसे उङाता रहा। तथा जब एक दिन उस माँ की बात याद आई तो फिर उसने एक रिक्शा खरीदा और उस चलाने लगा। एक दिन जब गौरी समान लाने बाजार गई तो उसने एक रिक्शा किया वह रिक्शा चलाने वाले को देख कर चोंक गई क्योकि रिक्शा रोहित चला रहा था। यह देखकर गौरी बहुत खुश ही की रोहित अब मेहनत करने लगा है, वह सुधर गया है। उसने बेटे को घर वापस आने को कहा। बेटे को मेहनत करता देख माँ बहुत खुश हुई। कुछ समय बाद अपने दोनो बच्चों का विवाह अच्छे घरों में करवा दिया। माँ अपना कर्तव्य पूरा करके बहुत खुश थी। अपनी बेटी की तीक्ष्ण बुद्धि से खुश होकर वह भगवान से यही प्रार्थना कर रही थी कि ऐसी समझदार बेटी सब के घर में हो।
पूजा प्रजापत
कक्षा - 7