पिता

                             पिता

    पिता एक उम्मीद है, एक आस है।
    परिवार की हिम्मत और विश्वास है।
    बाहर से सख्त,  अंदर से नरम है।
    उसके दिल में दफन कई मर्म है।
    पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है।
    परेशानियों से लङने की दोधारी तलवार है।
    बचपन में खुश करने वाला खिलौना है।
    नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।
    पिता जिम्मेदारियों से लदी गाङी का सारथी है।
    सबको बराबर का हक दिलाता, यही एक महारथी है।
    सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है।
    इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।

                                    पार्थ राज कटारिया
                                      कक्षा - 8