अगर मेरा दुनिया में आना,
भी तुमको मंजूर नहीं।
जिस दिन तरसोगे बेटी को,
वो दिन दूर नहीं।
अपना ही था खून तुम्हारा,
जिसको कोख में मार दिया।
आज की बेटी कल की माँ है,
ये भी नहीं विचार किया।
जान के भी अनजान बन गए,
होगा माफ कसूर नहीं।
जिस दिन तरसोगे बेटी को,
वो दिन ज्यादा दूर नहीं।
बेटी हुई तो छाती पिटे,
बेटा हुआ तो फूल गई।
वंश चले न बिन बेटी के,
शायद तुम ये भूल गई।
बेटा लाभ हि बेटी हानि,
क्या ये बुरा फितूर नही।
जिस दिन तरसोगे बेटी को,
वो दिन ज्यादा दूर नही।
माँ होगी ना बहन,
न पत्नि क्या होगी दुनिया में ।
सोचो जब नारी ही न होगी.
क्या होगा फिर दुनिया में ।
बिन धरती कोई बीज भी पनपे,
कुदरत का दस्तूर नही ।
जिस दिन तरसोगे बेटी को,
वो दिन ज्यादा दूर नही।
क्या खूब जवाब था एक बेटी का,
जब उससे पूछा गया।
की तुम्हारी दुनिया कंहा से शुरू होती है,
और कंहा पर खत्म।
बेटी का जवाब था ।
माँ की कोख से शुरू होकर,
पिता के चरणो से गुजर कर।
पति की खुशी की गलियों से होकर,
बच्चों के सपनों को पूरा करने तक खत्म।
बेटी बचाओ
बेटी पढाओ
बेटी ही है सब कुछ है।
हर्षिता शेखावत
कक्षा - 5